सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक की मोरेटोरियम योजना को दिसंबर तक बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी है कि कोरोना संकट में जिन कठिन आर्थिक हालातों को देखते हुए मोरेटोरियम सुविधा दी गई थी वह अभी समाप्त नहीं हुई है, ऐसे में मोरोटोरियम की सुविधा को इस साल दिसंबर तक बढ़ाया जाना चाहिए। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने एडवोकेट विशाल तिवारी की इस याचिका को स्वीकार कर लिया है। इसे मामले को पहले से लंबित मोरोटोरियम मामले के साथ जोड़कर सुनवाई करने का फैसला लिया है।
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट 1 सितंबर को सुनवाई करेगा। इससे पहले 26 अगस्त को पूर्व की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि वह इस मामले में आरबीआई की आड़ न ले और एक सप्ताह के भीतर ही अपना रुख स्पष्ट करे।
लोन मोरोटोरियम को आगे न बढ़ाने की मांग
सूत्रों के मुताबिक, आरबीआई लोन मोरेटोरियम को 31 अगस्त से आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने बीते गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि मोरोटोरियम योजना एक अस्थाई समाधान है। अब अगर छूट की अवधि को छह महीने से आगे बढ़ाया जाता है, तो इससे कर्ज लेने वाले ग्राहकों का व्यवहार प्रभावित हो सकता है। कोरोना महामारी के बाद देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए फायनेंशियल सेक्टर्स में सुधार होना आवश्यक है। बता दें कि एसबीआई, एचडीएफसी, पीएनबी और कोटक महींद्रा बैंक ने सरकार से लोन मोरोटोरियम को और आगे न बढ़ाने की मांग की है।
दरअसल कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया था। इस दौरान आरबीआई ने बैंक कर्जदारों को राहत देने के लिए मोरोटोरियम योजना की घोषणा की थी। इसके तहत लोन किस्त बाद में चुकाने की छूट दी गई थी, लेकिन इसकी अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो रही है।
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