विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने सितंबर में अब तक भारतीय पूंजी बाजार (शेयर और डेट बाजार) से शुद्ध 476 करोड़ रुपए निकाल लिए। इस दौरान उन्होंने शेयर बाजार से तो शुद्ध निकासी की लेकिन डेट बाजार में शुद्ध निवेश किया। विदेशी निवेश के इस रुझान का मतलब यह है कि यूरोप और अन्य देशों में कोरोनावायरस संक्रमण में फिर से हो रही बढ़ोतरी के कारण विदेशी निवेशक सावधानी बरत रहे हैं।
डिपॉजिटरी के डाटा के मुताबिक 1-25 सितंबर तक एफपीआई ने शेयर बाजार में 4,016 करोड़ रुपए की शुद्ध बिक्री की। इसी अवधि में उन्होंने डेट बाजार में 3,540 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया। इस तरह से उन्होंने नेट आधार पर भारतीय बाजार से 476 करोड़ रुपए की शुद्ध निकासी कर ली।
जून, जुलाई व अगस्त में एफपीआई ने किया था शुद्ध निवेश
इससे पहले जून से अगस्त तक लगातार तीन महीने एफपीआई ने भारतीय पूंजी बाजार में शुद्ध निवेश किया था। उन्होंने अगस्त में 46,532 करोड़ रुपए, जुलाई में 3,301 करोड़ रुपए और जून में 24,053 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया था।
एफपीआई ने अनिश्चितता से पहले मुनाफावसूली की
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि यूरोप व अन्य देशों में कोरोनावारयस संक्रमण में फिर से बढ़ोतरी होने के डर से संक्रमित जगहों पर फिर से लॉकडाउन लगाए जाने का डर पैदा हो गया। इसी कारण से एफपीआई ने सावधानी भरा रुख अपनाया होगा। भारत में कोरोनावायरस के बढ़ते मामले और आर्थिक चुनौतियों के कारण भी विदेशी निवेशकों को जोखिम लेने का साहस नहीं मिल रहा है। हाल में भारतीय शेयर बाजार में आए उछाल और डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूती के कारण एफपीआई ने अनिश्चितताओं से पहले मुनाफावसूली करना बेहतर समझा होगा।
नकदी बढ़ने पर निवेशक तेजी से पैसे लगाते हैं और तेजी से निकाल भी लेते हैं
ग्रो के सह-संस्थापक और सीओओ हर्ष जैन ने कहा कि नोट प्रिंटिंग के कारण बाजार में काफी नकदी बढ़ गई है। इसके कारण कई असेट काफी महंगे हो गए हैं। ऐसे माहौल में निवेशक विभिन्न असेट क्लास में तेजी से पैसे लगाते हैं और तेजी से निकाल भी लेते हैं। पिछले कुछ महीने में हमने शेयर, बांड, गोल्ड और सिल्वर में ऐसे रुझान देखे भी हैं। यह रुझान कुछ और समय तक बना रह सकता है।
अमेरिका में यील्ड घटने से भारतीय डेट बाजार में बढ़ रहा है निवेश
डेट सेगमेंट में निवेश बढ़ने के बारे में जैन ने कहा कि यह नया बदलाव है। करीब 6 महीने से ऐसा नहीं देखा जा रहा था। श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा बांड की आक्रामक खरीदारी करने से वहां यील्ड काफी कम हो गया है। इसलिए एफपीआई भारत सहित अन्य देशों के बांड में निवेश कर रहे हैं, जहां बांड पर ज्यादा रिटर्न दिख रहा है। जैन ने कहा कि आने वाले सप्ताहों में अमेरिका के चुनाव और चीन-अमेरिका संबंध से विदेशी पूंजी की दिशा निर्धारित होगी।
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